Editor : Dr. Rahul Ranjan (+91-6263403320)
2013 की सुबह थी बिहार के तमाम अखबारों का पहला पृष्ठ सन ऑफ मल्लाह मुकेश साहनी के चमचमाते चेहरे से पता था एक ऐसा नाम जिसे बिहार के लोगों ने पहले कभी नहीं सुना था बिहार की राजनीति गलियों में खलबली सी मच गई यह राजनीति पार्टी थी जिसे भाजपा 1 सीट का ऑफर देकर इंतजार कर रही थी और आरजेडी ने अपने पल्ले में कर सबको चौंका दिया माछ भात खाएंगे और महागठबंधन को जिताएंगे नारे के साथ चुनावी मैदान में कूद पड़े सबके मन में यह प्रश्न चल रहा था यह सन ऑफ मल्लाहा कहां जाने वाला मुकेश साहनी किस तरह बिहार के राजनीति में वाइल्ड कार्ड एंट्री हुई है मुकेश का जन्म बिहार में दरभंगा जिले के सुपौल मैं हुआ है 19 साल की उम्र में उन्होंने अपना घर छोड़ भागकर मुंबई चले गए उस वक्त वह खाली थे अपने मेहनत के दम पर इतना नाम पैसा और मुकाम हासिल किया मुंबई में शुरुआती समय में व सेल्समैन की नौकरी की उनके दिमाग में फिल्मों सीरियल का सेट बनाने का बिजनेस का ख्याल आया उनके लिए सबसे बड़ा मौका तब आया जब उन्होंने शाहरुख खान की फिल्म देवदास का सेट बनाने के लिए आमंत्रित किया गया इस व्यवसाय में शुरुआती सफलता मिलने के बाद उन्होंने मुकेश सिनेवर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी बनाएं उन्होंने इस सफल कारोबार से महज कुछ ही समय में खूब नाम और पैसा कमाया पैसे की ताकत से बिहार की राजनीतिक में धमाकेदार एंट्री के 2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश और लालू के एक साथ होने से घबराई भाजपा को हर तिन के में सहारा दिखने लगा इसका फायदा मुकेश ने उठाया और अपने पैसे के दम पर हेलीकॉप्टर लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तक पहुंच गया अमित शाह के साथ चुनावी प्रचार में घूमने लगे इस दौरान आगे बहुत लड़ाई है एनडीए में भलाई है का नारा दिया लेकिन हेलीकॉप्टर के दम पर चुनाव नहीं जीता जा सकता लिहाजा भाजपा ने मुकेश को भाव देना बंद कर दिया इससे बौखलाए मुकेश ने 4 नवंबर 2015 दिन पटना के गांधी मैदान में एक रैली की और अपनी पार्टी का गठन का ऐलान कर दिया पार्टी का नाम वीआईपी यानी विकासशील इंसान पार्टी रखा इस दौरान के सैनी ने कहा जब प्रदेश में 3% आबादी वाले लोग मुख्यमंत्री पद हासिल हो सकते हैं तो हम 15% की आबादी वाले क्यों नहीं बिहार में मुस्लिम और यादव के बाद तीसरी सबसे बड़ी आबादी निषाद है मछुआरों समुदाय के बिहार में आरक्षण देने की मांग करने लगे की बिहार गंगा के किनारे एवं नदियों से घिरा हुआ राज्य जिसके कारण यहां तालाब की जनसंख्या भी अच्छी खासी है जिसे मल्लाहा निषाद जाति के लोगों को व्यवसाय एवं आर्थिक रूप में जीवन यापन करने में मदद मिलेगी लेकिन बिहार की राजनीति के कारण सही रूप से ने सरकारी सहायता नहीं मिलने के कारण कई समस्याओं से जूझना पड़ता हैं इनके पीछे से कई नेता निकले हैं जो एनडीए और यूपीए दोनों पार्टियों में है आरजेडी ने कप्तान जय नारायण निषाद को मुज़फ़्फ़पुर से पार्टी का उम्मीदवार बनाया जो उस ज़माने में एक असाधारण फ़ैसला था.
बाद में कप्तान निषाद नीतीश के और फिर भगवा ख़ेमे में आ गए. पूर्व केंद्रीय मंत्री कैप्टन जगन नारायण निषाद के पुत्र बिहार मुजफ्फरपुर लोकसभा से सांसद अजय निषाद जिन्होंने 2015 को अनुशंसित ईथनोग्राफिक रिपोर्ट दी गई है उसमें बिहार के सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े एवं वंचित समाज के मल्लाह, निषाद, बिंद, बेलदार, चॉय, तीयर, खुलवट, सुरहिया, गोढ़ी, बनपर, केवट एवं नोनियां जाति को अनुसूचित जाति का दर्जा देने की अनुशंसा की गई है भगवान लाल सहनी ,अनिल साहनी, मदन साहनी खाद्य और उपभोक्ता संरक्षण मंत्री बिहार सरकार बिहार लोक सभा चुनाव में वीआईपी पार्टी को महागठबंधन की ओर से 3 सीटें मिली थी (मुजफ्फरपुर,खगरिया, मधुबनी )लेकिन लोकसभा चुनाव वह महागठबंधन की नैया को पार लगाने में सक्षम नहीं रहे 2020 विधानसभा चुनाव महागठबंधन में सीटों के बटवारा लेकर कई तरह की समस्या चल रही है आरजेडी और कांग्रेस के सीटों का झगड़ा सुलझ नहीं पा रहा है इसी बीच वीआईपी चीफ मुकेश साहनी राज्य में 15 प्रतिशत वोट बैंक का दावा करते हुए डिप्टी सीएम के पद पर दावा ठोक दिया है। इशारों में उन्होंने एनडीए की ओर से मिल रहे ऑफर का भी जिक्र कर दिया। साहनी राज्य में 25 सीटें मांग रहे हैं जबकि उन्हें 15 सीटें देने की बात सामने आ रही है। एससी/एसटी समाज के लिए नीतीश कुमार की घोषणा की तारीफ करने वाले साहनी ने साफ कहा, "हम जिसके साथ रहेंगे उसकी सरकार बनेगी। महागठबंधन में मुकेश साहनी को उनके मन मुताबिक सीटें नहीं मिलने के कारण महागठबंधन से रिश्ता तोड़ कर जदयू-भाजपा मैं सम्मिलित हो गया है अखबारों के विज्ञापन सोशल मीडिया नारो या आरक्षण के दम पर जीत पाने में कितनी संभव है 2019 के बिहार विधानसभा चुनाव में गठबंधन के साथ अपने नैया को पार कराने में कितने सक्षम होते हैं चुनाव का परिणाम ही बताएगी,