Editor : Dr. Rahul Ranjan (+91-6263403320)
आज इस वर्तमान परिस्थिति में किसी चीज की सबसे ज्यादा पूरे विश्व में जरूरत है तो वह अस्पताल है क्योंकि आज इस करोना जैसे महामारी से कोई बचा सकता है तो वह अस्पतालों के डॉक्टर, नर्स और उपकरण है क्या वर्तमान परिस्थिति को लेकर भारत सरकार के पास कोई ठोस स्वास्थ्य विभाग का इन्फ्राट्रक्चर इस देश में है क्या इस पर केंद्र सरकार या राज्य सरकार का ध्यान है देश की आजादी के बाद से ही स्वास्थ्य विभाग को लेकर कई बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने वादे किए लेकिन वह पूरे नहीं हुए देश का सबसे बड़ा हॉस्पिटल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान जो पूरे साउथ ईस्ट एशिया में जाना जाता है जिसकी स्थापना देश की आजादी के बाद कोलंबो प्लान के तहत न्यूजीलैंड के द्वारा किया गया आज पूरे देश में 16 एम्स अस्पताल है जो पूरी तरह तैयार नहीं है कई राजनीतिक पार्टियों ने एम्स अस्पताल को बढ़ाने की बात भी की लेकिन वह भी अभी तक तैयार ना हो सकी है जिसमें रायबरेली में लगभग 800 करोड़ से बन रहा एम्स है जो लगभग 70% तैयार हो पाया है उसी तरह कई जगह इस तरह की परिस्थिति है जैसे कि नागपुर पश्चिम बंगाल में कल्याणी बिहार में दरभंगा पटना असम में गुवाहाटी हिमाचल प्रदेश बिलासपुर भटिंडा गोरखपुर रायपुर भोपाल आनंदपुर कश्मीर इत्यादि स्थान है जहां पर अभी तक एम्स अस्पताल तैयार ना हो सका क्योंकि यह जहां पर वह बनकर तैयार होने वाला था वहां जगह कमर्शियल हो गई है वहां सड़क बन गए मार्केट तैयार हो गए पर अस्पताल तैयार नहीं हो सके आज राज्य सरकार और केंद्र सरकार डॉक्टरों और नर्सों को वेतन देने की स्थिति में नहीं है जिसके कारण लगभग 9 लाख डॉक्टर में लगभग 1 लाख डॉक्टर कि सरकारी अस्पतालों में अपनी सेवा दे रहे हैं एवं 8 लाख डॉक्टर प्राइवेट अस्पतालों में हैं वहीं दूसरी तरफ वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के नियम अनुसार एक करोड़ लोगों पर न्यूनतम 10 हजार डॉक्टर होना चाहिए पर आज वर्तमान परिस्थिति में इस देश में एक करोड़ में लगभग 8 हजार डॉक्टर ही हैं इससे हम अनुमान लगा सकते हैं कि वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग की क्या हालात है वही हम दूसरे देश से अपनी बराबरी करते नजर आते हैं लेकिन कई देश अपने एक करोड़ की आबादी पर डॉ नियुक्त किए हैं उसमें अमेरिका एक करोड़ लोगों पर 26 हजार डॉक्टर ब्रिटेन में एक करोड़ लोगों पर 28 हजार डॉक्टर रसिया में एक करोड़ लोगों पर 37 हजार इटली में एक करोड़ लोगों पर 39 हजार जर्मनी में एक करोड़ लोगों पर 20 हजार डॉक्टर नियुक्त किया गया हमारी सरकार हर साल बजट पेश करते हैं और वह स्वास्थ्य विभाग के लिए क्या सोचती है इससे अनुमान लगा सकते हैं कि हमारे डॉक्टर और नर्स वर्तमान हालात के अनुकूल 1% भी नहीं है इस तरह चरमराई व्यवस्था में सत्ताधारी सरकार इस स्वास्थ व्यवस्था को सुधारने के लिए कोई उपाय करेगी या फिर देशवासियों को कोरोना के हवाले कर देगी