Editor : Dr. Rahul Ranjan (+91-6263403320)
भारत में प्राचीन समय से कुटीर उद्योग का महत्वपूर्ण योगदान रहा है अंग्रेजो के द्वारा भारत में कुटीर उद्योग तेजी से नष्ट किए गए किंतु स्वदेशी आंदोलन के द्वारा कुटीर उद्योग को बल मिला पर वर्तमान स्थिति में इस उद्योग की हालत बहुत ही ज्यादा नाजुक है इस बिल को लेकर केंद्रीय राज्य की सत्ताधारी सरकारों ने इस पर कोई भी आम कदम नहीं उठाया वर्तमान स्थिति में यह है कि भारतीय बाजार आज विदेशी बाजारों की मुट्ठीओ में आ गई है भारत के गांव के छोटे-छोटे कस्बों के बाजार मानो इस उद्योग से लुप्त हो चुकी है भारत जैसे देश में जहां आज भी लगभग 72% जनसंख्या ग्राम में निवास करती है और जहां पूंजी का अभाव है वहां लघु एवं कुटीर उद्योग के विकास के बिना बहुसंख्यक ग्रामीणों की आर्थिक समस्याओं का निराकरण नहीं किया जा सकता अधिकाधिक संख्या में बेरोजगार व्यक्तियों को रोजगार प्रदान किया जा सकता है। पर सरकार को इस पर कोई ध्यान नहीं दे रही है जबकि लघु कुटीर उद्योग से शहारी ग्रामीण एवं भारतीय अर्थव्यवस्था को कई महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त होती है देश का संतुलित विकास ,रोजगार की प्राप्ति ,गांव का विकास ,वर्ग संघर्ष से बचाव ,अकाल के समय सुरक्षा , विदेशी मुद्रा का अर्जुन ,कला कौशल की उन्नति ,बाजारों के विकास में अहम भूमिका इत्यादि में इस उद्योग का महत्व है भारत सरकार के द्वारा 1948 से अब तक लघु एवं कुटीर उद्योग के विकास में लगातार विशेष जोर दिया जा रहा है फिर भी लघु एवं कुटीर उद्योग की सफलता में कहां चूक हुई आज की स्थिति में सबसे बड़ी समस्या कच्चा माल प्राप्त मात्रा में नहीं मिलता ना सही बाजार की प्रस्तुति नहीं होना सरकारों द्वारा नई स्कीम को सही रूप से देश की जनता तक नहीं पहुंचाना एवं सरकार द्वारा सही रूप से इन्फेक्शन नहीं तैयार करना जिसके कारण सरकार के द्वारा कोई भी स्कीम चलाने पर वह बीच के बिचौलिया उसे चपट कर जाते हैं इस तरह की तमाम समस्या आज वर्तमान स्थिति में आखरी है केंद्रीय राज्य सरकार इस तरह की व्यवस्था करते नहीं नजर आ रही है जिससे कि इस उद्योग को चलाने वाले व्यक्ति का उनका पैसा सीधा उनके हाथ या बैंक खातों में पहुंच जाए बिचौलिया वाली सिस्टम को जड़ से उखाड़ कर फेंक दिया जाए सरकार के तमाम बड़े बड़े विभाग इस पर नहीं गौर करती है वह सिर्फ देश के तमाम बड़े उद्योगपति एजेंसी और राजनेताओं की उद्योग को बचाने में लगी रहती है देश के तमाम गरीब और छोटे दो चलाने वाले दर-दर भटकने के लिए छोड़ दिए जाते हैं जिनसे हमारी देश की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा चलता है सत्ताधारी अपनी सत्ता इन्हीं के बदौलत चलाती हैं पर वर्तमान परिस्थिति में यह एक जटिल प्रश्न बंद कर मौजूदा सरकार के सामने खड़ी है देश के तमाम बड़े राजनीतिक दल क्या इस पर विचार करेगी या पहले की तरह अपने वोट बैंक की राजनीति करती नजर आएगी