Editor : Dr. Rahul Ranjan (+91-6263403320)
कोरोना संक्रमितों के इलाज में जुटे डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ के अलावा कुछ और लोग भी हैं, जिन्हें कोरोना वॉरियर्स (योद्धा) कहलाने का हक है। ये लोग संक्रमित व्यक्ति का इलाज तो नहीं कर सकते, लेकिन उसकी असामायिक मौत होने पर न सिर्फ उसकी मृत देह को मुक्तिधाम तक पहुंचाते हैं, बल्कि कई बार मुखाग्नि देने या सुपुर्दे खाक करने की जिम्मेदारी भी निभाते हैं।
इन्हें खुद नहीं पता कि अब तक वे कितनों को मुखाग्नि दे चुके हैं और कितनों को सुपुर्दे खाक किया है। कई बार ऐसी स्थिति भी बनती है जब कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मौत के बाद उसके स्वजन तक मृत देह को मुखाग्नि देने या सुपुर्दे खाक करने से परहेज करते हैं। कोई मजहब इनके जिम्मेदारियों के आड़े नहीं आता है।
हम बात कर रहे हैं अरबिंदो अस्पताल के मर्च्युरी विभाग के चार कर्मचारी सोहनलाल खाटवा, जगदीश पटवाने, गोलू खरे और लखन खरे की। ये चारों सालों से अस्पताल में काम कर रहे हैं। प्रशासन ने अस्पताल को कोरोना के इलाज के लिए चुना तो इन चारों की जिम्मेदारी बढ़ गई। कोरोना संक्रमित व्यक्ति की इलाज के दौरान मृत्यु होने पर ये चारों ही मृत शरीर को अस्पताल से अंतिम संस्कार स्थल तक पहुंचाते हैं। वहां शव को चिता पर लेटाने से लेकर लकड़ियां जमाने तक की जिम्मेदारी इन्हीं को निभानी होती है। बकौल सोहनलाल कई बार ऐसा होता है कि चिता पर शव को लेटाने के बाद मृतक के स्वजन मुखाग्नि देने तक से अचानक इन्कार कर देते हैं। ऐसे में यह जिम्मेदारी भी उन्हें ही निभानी होती है। कई बार होता है कि मृतक के स्वजन के पास पीपीई किट या संक्रमण से बचने के अन्य सुरक्षा के संसाधन उपलब्ध नहीं होते। ऐसी स्थिति में भी उन्हें ही अंतिम संस्कार करना होता है। शव वाहन में नहीं बैठने देते सोहनलाल के मुताबिक कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मौत होने पर हम उसके स्वजन को शव वाहन में भी नहीं बैठने देते, क्योंकि ऐसे में संक्रमण फैलने की आशंका रहती है। हम खुद शव के साथ अंतिम संस्कार स्थल तक जाते हैं। स्वजन से कह दिया जाता है कि वे अपने वाहनों से अलग से अंतिम संस्कार स्थल तक पहुंच जाएं।सोहनलाल का मकान अरबिंदो अस्पताल के सामने ही है, जबकि बाकी के तीनों साथी रेवती ग्राम में रहते हैं।
अस्पताल रखता है पूरा ध्यान
जगदीश, गोलू और अन्य ने बताया कि शुरुआत में उन्हें इस काम में संकोच हो रहा था।उन्हें लगता था कि ऐसा करेंगे तो वे भी संक्रमित हो जाएंगे, लेकिन अस्पताल के प्रबंधक राजीव सिंह ने ही उन्हें न सिर्फ सुरक्षा संसाधन उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया, बल्कि इस कार्य को मानवता से जोड़कर देखने की प्रेरणा भी दी। अस्पताल के डॉ. विनोद भंडारी के आश्वासन के बाद वे इस काम को करने को तैयार हुए और अब मानवता की सेवा कर रहे हैं। चारों कर्मचारियों ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन न केवल उन्हें संक्रमण से बचने के संसाधन दे रहा है, बल्कि उनके खाने-पीने सहित अन्य सुविधाओं का इंतजाम भी किया जा रहा है।